गजल
ASHOK KUMAR
AMBASSADOR OF IFCH
नफरत के इस छलके दर्द को
मानवता की मरहम से मिटाओ
दर्द को यारो खुशी की मदिरा
दिल से दिलो को मिला मुस्कुराओ
अंधेरा बहुत है ,कठिन डगर है
आशाओ के तुम दीप जलाओ
शमशान बन रहे है आज सभी घर
इस गुलशन को फूलो से महकाओ
कतरा -कतरा बिखरे कला का इस गुलशन मे
पैगामे- मुहब्बत के नगमे तुम इस जहां मे गाओ
मुश्किलो मे ही छिपा है उनका हल भी दोस्तो
कर खुद पर भरोसा मुश्किलो से नजरे मिलाओ
गार्दिशो से आँखे मिला हौसलो को चूम कर दोस्तो
ज़िंदगी को अपनी मातृ भूमि को समर्पित कर जाओ
INDIA
MAY 18 ,2020
©️®️
ASHOK KUMAR
PRINCIPAL