2020/05/01

Author: Dr.Navin Kumar Upadhyay IFCH Ambassador in India


Author: Dr.Navin Kumar Upadhyay
IFCH Ambassador in India

कवियों का अलग रोजगार होता है,
न कहीं अपना घर -परिवार होता है।
सँत साहित्यकार न रहते कहीं के,
अखिल जगत उनका कारोबार होता है। 

पता है उनको ,उनका न कोई ठिकाना,
एक जन्म किसी और जगह बिताना,
अगली बार कहीं  दूसरी जगह जाना,
इसीलिए उनका घर पूरा सँसार होता है।

इस जन्म कृष्ण बन रँगभेद हेतु लड़े,
अगले जन्म गोरे श्रेष्ठ करने हेतु मरे,
जन्म -जन्म सदा ईषणा में ही रगड़े,
असलियत का न घर द्वार मिलता है।

जाति-वण^-भाषा सत्ता श्रेष्ठ व्यभिचार,
आज मर मिट रहा पूरा विश्व परिवार,
बिधाता दिया सबको समान अँग आधार,
"नवीन"कवि दृष्टि मेंं अहँ निराधार होता है।