2020/06/16

गजल ASHOK KUMAR AMBASSADOR OF IFCH काश ! हवा का रुख बदल जाए नींद सकुन की सभी को आए




मगरुर थे लाचार  हो गए खुदा तेरे बन्दे 
तडप रहे ,कही से तो रोशनी आ जाए

पेट की भूख आंशुओ से झांक रही इस कदर 
रहमत तेरी बरसे तो सकुन दिल को मिल जाए 



जब सितारे गर्दिश  मे  हो तो आसमा को चैन कहाँ से आए 
काल चल रहा चाल कुछ कदर डर है सभी जमीदोश न हो जाए

न मंदिर ,न मस्जिद  ,न गुरुद्वारे  खुले  तड़प  रहे उसके दर्शन  को 
झटपटा रहे  जैसै बिन पानी मछली अशोक अरदास कहाँ  लगाए 

भारत  
जून 16,2020 
©️®️
अशोक कुमार 
नई बस्ती  बडौत बागपत