खून नसो में तुम्हारा ही दौड़ रहा
मैं तुम्हारी परछाई
अन्तर्मन यह बोल रहा
खुदा को मैंने नहीं देखा जमीं पर
चरणों में प्यार सुमनअर्पित
अंतर्मन यह बोल रहा
मान तुम ,सम्मान तुम
हिय तराजू मेरा तौल रहा
हर्ष तुम्हीं से है मेरा
सुत तुम्हारा यह बोल रहा
तुम बिन अश्रु मेघ गरजते
चंचला अहि बन गजमन डसती है
अवनी ,गिरि तात बिन
देव कैसी अशोक की हस्ती है
भारत
दिनांक जून 21,2020
अशोक कुमार
नई बस्ती पट्टी चौधरान
बड़ौत बागपत
उत्तर प्रदेश
आभार =हसमुख मेहता विश्वविख्यात कवि ।