गजल
ASHOK KUMAR
AMBASSADOR OF IFCH
कलम के टुटे हिस्से ने मुझे मेरी औकात दिखा दी
बिन मौसम के बादलों की बरसात दिखा दी
दौड़ते बादलो का मैं कायल नहीं
धरती की टपकती बूंदों ने प्यास बुझा दी
जवानी जब जली जिस्म की
रूह ने मुझे मेरी औकात दिखा दी
ख्वाहिशें आसमां पाने की थी
मगर दोस्तों ने मुझे मेरी औकात बता दी
अशोक जला इस क़दर धुआं चारों तरफ बिखर गया
आगोश में मौत के जमाना सिमट गया
भारत
जून 07,2020
अशोक कुमार
नई बस्ती पट्टी चौधरान
बड़ौत बागपत
उत्तर प्रदेश